निःशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम २००९ तथा आरटीई अधिनियम २००९ के तहत स्कूल की मान्यता, लेखा परीक्षा विवरण आदि की जानकारी प्राप्त करना-
कई स्कूल अपनी महत्वपूर्ण जानकारी जैसे की, स्कुल की मान्यता, बुनियादी भौतिक और संगठनात्मक संरचना, स्कूल का प्रमाणित लेखा विवरण तथा अकाउंट स्टेटमेंट, स्वयं घोषणा, छात्रों की संख्या, शिक्षक-छात्रों का अनुपात, शुद्ध पेयजल उपलब्ध है या नहीं, छात्र तथा छात्राओं के लिए अलग-अलग शौचालय बनाए गए हैं या नहीं आदि जानकारी अभिभावक तथा आम जनता को देने से इनकार करते हैं. जब की स्कूल प्रबंधन को भले वो अनुदानित स्कूल हों निजी तथा प्रायवेट स्कुल हो या अल्पसंख्यांक स्कूल हों, ऐसी सभी जानकारी आम जनता और शिक्षा विभाग को देना निःशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम २००९ तथा आरटीई अधिनियम २००९ के प्रावधानों अनुसार अनिवार्य हैं.
हमें यह विश्वास है की अभिभावक या आम जनता यदि इस लेख में प्रकाशित रणनीती का इस्तेमाल करते हैं तो उन्हें उपरोक्त सभी जानकारी आसानी से मिल जायेगी और शिक्षा के व्यापारीकरण पर अंकुश के साथही बच्चों तथा विद्यार्थियों की स्कूलों में सुरक्षितता भी सुनिश्चित होगी और जिला शिक्षा अधिकारी जिस के पास स्कूलों की सारी जानकारी उपलब्ध होती है वह अभिभावक तथा आम जनता को गुमराह नहीं कर सकेगा और यदि ऐसा प्रयास करेगा तो उसपर कठोर अनुशासनात्मक कारवाई की जा सकती है.
आरटीई अधिनियम २००९ के तहत स्कूल की मान्यता, लेखा परीक्षा विवरण आदि की जानकारी प्राप्त करना-
महत्वपूर्ण-
निःशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम २००९ तथा आरटीई अधिनियम २००९ के मुख्य प्रावधान लगभग सभी राज्यों में समान रूप से लागू है, हालाँकि इस कानून के तहत नियम मात्र अलग अलग राज्यों ने बनाये है. भले ही अलग अलग राज्यों ने अपने खुद के नियम लागु किये हों फिर भी मुख्य कानून के प्रावधान हर राज्यों में समान होने की वजह से देशभर के सभी स्कूलों को उपरोक्त संदर्भीय जानकारी सार्वजनिक करना अनिवार्य है.
उदहारण के तौर पर महाराष्ट्र, हरियाणा और दिल्ली के नियम-
निःशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम २००९ तथा आरटीई अधिनियम २००९ के अंतर्गत स्कूलों की बुनियादी भौतिक और संगठनात्मक संरचना, स्कूल का प्रमाणित लेखा विवरण तथा अकाउंट स्टेटमेंट, छात्रों की संख्या, शिक्षक-छात्रों का अनुपात, शुद्ध पेयजल उपलब्ध है या नहीं, छात्र तथा छात्राओं के लिए अलग-अलग शौचालय बनाए गए हैं या नहीं आदि जानकारी स्कूलों कों न केवल शिक्षा अधिकारी को विभिन्न फॉर्म के जरिये (जैसे की FORM I, FORM II, FORM III आदि) देना न केवल अनिवार्य है बल्कि ध्यान रहे की यह जानकारी शिक्षा अधिकारीद्वारा सार्वजानिक पटलोंपर भी प्रकाशित करना भी अनिवार्य है.
महाराष्ट्र-
महाराष्ट्र सरकारने निःशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम २००९ तथा आरटीई अधिनियम २००९ के अंतर्गत सन २०११ में लागु किये नियम के प्रावधान देखिये-
i) स्कुल की जानकारी सार्वजनिक पटलों तथा वेबसाईटपर प्रकाशित करना फॉर्म I-
’11.Recognition of schools for purposes of section 18.
(2) Every self declaration received in Form-1 shall be placed by the District Education Officer in public domain displaying it on a notice board, website etc, within fifteen days of its receipt.’
इसका मतलब फॉर्म I में दी गई स्कूलों की कई महत्वपूर्ण जानकारी जिला शिक्षा अधिकारी को सार्वजनिक पटलों, वेबसाईट आदि पर प्रकाशित करना अनिवार्य है और वह उसका कर्तव्य है.
ii) प्रमाणित लेखा विवरण हर साल जिला शिक्षा अधिकारी के कार्यालय में जमा करना फॉर्म II नियम १५ –
15.The accounts should be audited and certified by a Chartered Accountant and proper accounts statements should be prepared as per rules. A copy each of the Statements of Accounts should be sent to the DEO every year.
इस तरह आप स्कूल का प्रमाणित लेखा विवरण यानी अकाउंट स्टेटमेंट जिला शिक्षा अधिकारीसे सुचना के अधिकार कानून का इस्तेमाल कर के प्राप्त कर सकते है.
महाराष्ट्र सरकार के सन २०११ के निःशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम २००९ तथा आरटीई अधिनियम २००९ अंतर्गत अंग्रेजी नियम आप निम्नदर्शित लिंकसे डाउनलोड कर सकते है-
RTE Rules Maharashtra 2011.Pdf
हरियाणा-
हरियाणा सरकारने निःशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम २००९ तथा आरटीई अधिनियम २००९ के अंतर्गत सन २०११ में लागु किये नियम के प्रावधान देखिये-
i) स्कुल की जानकारी सार्वजनिक पटलों तथा वेबसाईटपर प्रकाशित करना फॉर्म I-
हरियाणा सरकार के सन २०११ के नियम १२(२) अनुसार-
Every Self Declaration received in Form I shall be placed by the District Elementary Education Officer in public domain within 15 days of its receipt.
इस तरह आप स्कूल का स्वयं घोषणा प्रमाणपत्र जिसमे कई महत्वपूर्ण जानकारी होती है वह जिला शिक्षा अधिकारीसे सुचना के अधिकार कानून का इस्तेमाल कर के प्राप्त कर सकते है.
ii) प्रमाणित लेखा विवरण हर साल जिला शिक्षा अधिकारी के कार्यालय में जमा करना फॉर्म II-
वहीँ फॉर्म II के नियम १४ अनुसार-
The accounts should be audited & certified by Chartered Accountant & proper accounts statements should be prepared as per rules. A copy of each of statements of accounts should be sent to the District Elementary Education Officer every year.
इस तरह आप स्कूल का प्रमाणित लेखा विवरण जिला प्राथमिक शिक्षा अधिकारीसे सुचना के अधिकार कानून का इस्तेमाल कर के प्राप्त कर सकते है.
हरियाणा सरकार के सन २०११ के निःशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम २००९ तथा आरटीई अधिनियम २००९ अंतर्गत अंग्रेजी नियम आप निम्नदर्शित लिंकसे डाउनलोड कर सकते है-
Haryana RTE Rules 2011.Pdf
दिल्ली-
वहीँ दिल्ली सरकार ने निःशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम २००९ तथा आरटीई अधिनियम २००९ के अंतर्गत सन २०११ में लागू किये नियमों के अनुसार-
i) स्कुल की जानकारी Form 1(A) द्वारा प्राप्त करना-
नियम १४ के उपनियम २ अनुसार-
(2) Every self declaration received in Form 1(A) shall be reviewed by the concerned District Education officer.
यहा एक बात का ध्यान रहे की दिल्ली सरकारने सं २०११ में स्कूलों की जानकारी सार्वजानिक पटलोंपर प्रकाशित करने का प्रावधान नहीं रखा है लेकिन आप इसे जिला शिक्षा अधिकारी को सुचना के अधिकार कानून अंतर्गत प्राप्त कर सकते है.
ii) प्रमाणित लेखा विवरण हर साल जिला शिक्षा अधिकारी के कार्यालय में जमा करना फॉर्म II–
वहीँ दिल्ली सरकार ने फॉर्म II के नियम १९ अनुसार निम्नलिखित प्रावधान किया है-
19. The accounts should be audited and certified by a Chartered Accountant and proper account statements should be prepared as per rules. A copy each of the Statements of Accounts should be sent to the District Education Officer every year.
इस तरह आप स्कूल का प्रमाणित लेखा विवरण जिला शिक्षा अधिकारीसे सुचना के अधिकार कानून का इस्तेमाल कर के प्राप्त कर सकते है.
दिल्ली सरकार के सन २०११ के निःशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम २००९ तथा आरटीई अधिनियम २००९ अंतर्गत अंग्रेजी नियम आप निम्नदर्शित लिंकसे डाउनलोड कर सकते है-
Delhi Rte Rules 2011.Pdf
अभिभावक तथा आम जनता के लिए रणनीती-
मुझे यह विश्वास है की अभिभावक या आम जनता यदि निम्नलिखित रणनीती का पालन करते हैं तो उन्हें उपरोक्त सभी जानकारी आसानी से मिल जायेगी और शिक्षा के व्यापारीकरण पर अंकुश के साथही बच्चों की स्कूलों मी सुरक्षितता भी सुनिश्चित होगी और जिला शिक्षा अधिकारी जिस के पास स्कूलों की सारी जानकारी उपलब्ध होती है वह अभिभावक तथा आम जनता को गुमराह नहीं कर सकेगा और यदि ऐसा प्रयास करेगा तो उसपर कठोर अनुशासनात्मक कारवाई की जा सकती है.
सुचना के अधिकार से अधिक प्रभावशाली रणनीती-
यह देखा गया है की कई राज्यों में सुचना अधिकार कानून के अंतर्गत जानकारी प्राप्त करने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है और अपील के निपटारा होने में वर्षों का वक्त गुजर जाता है. ऐसे में आम जनता निचे दिए रणनीती का इस्तेमाल कर सकती है-
अगर स्कुल FORM I, FORM II, FORM III नहीं दाखिल करते तो उन पे क्या करवाई हो सकती है-
निःशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम २००९ तथा आरटीई अधिनियम २००९ के धारा १८ अंतर्गत उपरोक्त संदर्भीय कार्यवाही स्कूलोंद्वारा न करने के पश्चात उनपर-
आपराधिक मुक़दमे के साथ ही १ लाख रूपये आर्थिक दंड तथा जब तक नियमों का पालन स्कुल नहीं करते उसके लिए प्रतिदिन रु.१००००/- आर्थिक दंड के लिए कारवाई पात्र होंगे.
आम जनता के लिए रणनीती-
१) सामान्य आवेदन कर के जानकारी न देने पर विभिन्न आयोग तथा अदालतों में जिला शिक्षा अधिकारी पर कारवाई हेतु याचिका करना-
सर्वप्रथम जिला शिक्षा अधिकारी को स्कुल के उपरोक्त संदर्भीय विभिन्न फॉर्म जैसे की FORM I, FORM II, FORM III आदि का सन्दर्भ देकर उससे स्कूलों FORM I, FORM II, FORM III उसके कार्यालय में दाखिल किये है या नहीं और किये है तो उसकी प्रति माँगे. अगर उचित समय में जिला शिक्षा अधिकारी ऐसी जानकारी नहीं देता या स्कुल पर कारवाई नहीं करता तो उसके खिलाफ स्कूलोंका भ्रष्टाचार छिपाने तथा अपना अधिकारिक कर्तव्य न करने की वजह से उसपर कारवाई हेतु विभिन्न आयोग जैसे की लोकायुक्त, बाल अधिकार आयोग ई. में याचिका दाखिल कर दे.
२) जन आन्दोलन-
सामाजिक संघठनों को अगर जन आन्दोलन करना मुमकिन हो तो वे जब तक जिला शिक्षा अधिकारी FORM I, FORM II, FORM III की जानकारी सार्वजानिक न करे या स्कूलोंने अगर ऐसी जानकारी उसके कार्यालय में दाखिल नहीं की है तो स्कुल प्रबंधन पर कारवाई कराने हेतू जन आन्दोलन शुरू करें.
इस प्रकार मात्र कानून की सही जानकारी रखकर और सही रणनीती अपनाकर आप शिक्षा के व्यापारीकरण पर प्रभावी अंकुश तथा अपने बच्चों की सुरक्षितता सुनिश्चित कर सकते है, जयहिंद!
-ॲड.सिद्धार्थशंकर शर्मा
संस्थापक अध्यक्ष- भारतीय क्रांतिकारी संगठन
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