यदि किसी भी शिकायतकर्ता को पता चल जाता है कि किसी भी लोकसेवक ने अपनी प्रत्यक्ष कार्रवाई से या अपने अप्रत्यक्ष कृत्य तथा क़ानूनी प्रावधानों की जानबूझकर अवज्ञा की है जिसके परिणामस्वरूप कोई अपराध होता है या वो इस तरह आपराधिक साजिश में भाग लेता है, तो वह दंड प्रक्रिया संहिता १९७३ की धारा १९७ (Section 197 of the Code of Criminal Procedure 1973) का संरक्षण नहीं ले सकता है और स्थानीय पुलिस स्टेशन या संबंधित मजिस्ट्रेट अदालत को ऐसे अपराध का संज्ञान लेना चाहिए और ऐसे मामलों में संबंधित सरकारों से आपराधिक अभियोजन के लिए मंजूरी तथा अनुमती (sanction from the state government) प्राप्त करना अनिवार्य नहीं होगा!
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एफआईआर (FIR) या आपराधिक मुकदमा कैसे दर्ज करें- अदालत तथा आयोगसमक्ष प्रक्रियाओंसंबंधी मार्गदर्शन
एफआईआर (प्रथम सूचना रिपोर्ट) को दंड प्रक्रिया संहिता १९७३ (The Code Of Criminal Procedure 1973) के प्रावधानोंद्वारा मजिस्ट्रेट अदालतों के माध्यम से और संबंधित कानूनों के खिलाफ विभिन्न आयोगों के माध्यम से दर्ज किया जा सकता है