तलाक और घरेलू हिंसा मामलों के लिए आवश्यक दस्तावेज और पेशेवर तैयारी हेतू क़ानूनी मार्गदर्शन
हिंदी क़ानूनी मार्गदर्शन

तलाक और घरेलू हिंसा मामलों के लिए आवश्यक दस्तावेज और पेशेवर तैयारी हेतू क़ानूनी मार्गदर्शन

Share

तलाक और घरेलू हिंसा मामलों के लिए आवश्यक दस्तावेज और पेशेवर तैयारी हेतू क़ानूनी मार्गदर्शन- दुर्भाग्यवश कई परिवार विवादित वैवाहिक जीवन, तलाक या घरेलू हिंसा के मामलों के कारण हर साल टूट जाते है. संबंधित व्यक्ति को ऐसे मामलों में कानूनी कार्यवाही शुरू करने के लिए सब से पहले अधिवक्ता तथा वकील से संपर्क करना पड़ता है. कई मामलों में पीड़ित व्यक्ति को इस तरह के तलाक या घरेलू हिंसा के मामलों के लिए आवश्यक कानूनी प्रावधानों, दस्तावेजों की आवश्यकता और तैयारी के बारे में कोई जानकारी नहीं होती है. इनमें से कई लोग जादातर महिला तथा अशिक्षित या ग्रामीण क्षेत्रों से भी संबंधित होते हैं और इसलिए उन्हें अपने अधिवक्ता तथा वकीलों के साथ कई सत्रों से गुजरना पड़ता है, जिसके कारण दोनो पक्षों का काफी समय बर्बाद होता है. पक्षकारों को इन अतिरक्त सत्रों के लिए अनावश्यक रूप से अतिरिक्त शुल्क भी लगता है.

अधिकांश मामलों में, अशिक्षा, मानसिक तनाव या अन्य कई कारणों से व्यक्ति ऐसे मामलों में महत्वपूर्ण पहलुओं या सबूतों का उल्लेख करना भूल जाता है और इसलिए यह मामले की योग्यता को भी प्रभावित करता है. वकील तथा अधिवक्ताओंद्वारा ऐसी गलतियों को सुधारने के लिए लंबी न्यायिक प्रक्रियाओं से गुजरना पड़ता है जिससे समय की हानी होती है.

इसलिए मैंने फैसला किया कि अगर कुछ मानक प्रारूप वकीलों या उनके मुवक्किलों द्वारा तलाक या घरेलू हिंसा के मामलों के दस्तावेजों और तैयारी के लिए अपनाया जाता है, तो इससे वकील और मुवक्किल दोनों के समय और ऊर्जा की बचत होगी. आम लोगों को बुनियादी मुद्दों के लिए अपने वकीलों के साथ लंबे सत्र के लिए अतिरिक्त शुल्क का भुगतान भी करने की आवश्यकता नहीं होगी. मेरा मानना है कि अधिवक्ताओंद्वारा अपने मुवक्किल से निम्नलिखित प्रारूप में दी गई जानकारी उन्हें बहुत जल्दी क़ानूनी मसौदा तैयार करने में भी उपयुक्त होगी.

इसलिए, इससे पहले कि कोई भी व्यक्ति अपने तलाक या घरेलू हिंसा के मामलों के लिए वकील से संपर्क करे, या कोई वकील अपने मुवक्किल से ऐसे मामलों के मुलाक़ात के पहले निम्नलिखित प्रारूप में जानकारी प्राप्त करते हैं, तो न केवल उनके मामले को बहुत ही पेशेवर तरीके से पेश किया जाएगा, साथ में लंबे सत्रों के लिए आर्थिक लागत बचाने के अलावा उनके मामले में क़ानूनी त्रुटि की संभावना न्यूनतम हो जाएगी.

साथ ही निम्नदर्शित प्रारूप में पेशेवर तरीके से सभी पहलुओं को शामिल किये जाने की वजह से आप घर बैठे अपने मामले के बारे में अनेकों अधिवक्ताओं से प्रत्यक्ष उनके कार्यालय में मिले बिना पेशेवर तरीके से कानूनी राय प्राप्त कर सकते हैं.

घरेलू हिंसा या तलाक के मामले की जानकारी तैयार करने का प्रारूप-
तलाक, घरेलू हिंसा या वैवाहिक विवाद मामलों के लिए वकील से संपर्क करने से पहले किसी भी व्यक्ति को निम्नलिखित जानकारी और दस्तावेज तैयार रखने चाहिए-
१) विवाह का स्थान, तारीख और समय का विवरण,
२) विवाह से पहले की वैवाहिक स्थिति (जैसे की अविवाहित, तलाकशुदा आदि),

३) शादी या विवाह कैसे संपन्न हुआ-
जैसे लव मैरिज या अरेंज्ड मैरिज, मैट्रिमोनियल वेबसाइट आदि के जरिए.
यहाँ ध्यान रहे की बहुत से लोग बहुत सरल बयान देते हैं जैसे ‘मैंने २६ मार्च २०१७ को मिस्टर ‘अ’ से शादी की थी और यह प्रेम विवाह था।’
ऐसी सरल जानकारी देने के बजाय उन्हें विस्तृत जानकारी देनी चाहिए- उदहारण के तौर पर निम्नलिखित विवरण देखिये-
‘मेरी शादी एक लव मैरिज थी और सोशल नेटवर्किंग साइट फेसबुक के जरिए साल २०१५ में शुरू हुई दो साल की कोर्टशिप के बाद हमारी शादी हुई थी. मेरे पति ने मेरे माता-पिता से अक्सर मेरे साथ शादी के लिए अनुरोध किया था…’

४) मूल विवाह निमंत्रण कार्ड या पत्रिका
५) विवाह तथा शादी की तस्वीरें
६) विवाह पंजीकरण प्रमाणपत्र की प्रति
७) शादी से पहले का नाम और पता (केवल महिलाओं के लिए लागू)
८) शादी के बाद का नाम और पता (केवल महिलाओं के लिए लागू)
९) पती/पत्नी का नाम, पूरा पता, ई मेल, मोबाइल नंबर, आधार कार्ड क्रमांक आदि

१०) विवाह के खर्च का विवरण-
इसका सविस्तर विवरण देना चाहिए जैसे की-
उदाहरण-
‘हालाँकि मेरे पति ने कोई दहेज की माँग नहीं की थी, फिर भी पति और उनके परिवार ने मेरे परिवार को शादी का खर्च उठाने के लिए कहा और उसके पश्चात मेरे परिवार ने सगाई, शादी की सारी लागत वहन की और उसी के लिए सामूहिक लागत रु.१५०००००/- थी’.
महत्वपूर्ण- ऐसी परिस्थितियों में शादी के हॉल, खानपान, उपहार के खर्च आदि के बिलों के माध्यम से खर्चों का रिकॉर्ड संभाल के रखना अत्यंत महत्वपूर्ण है.

११) पतिद्वारा घरेलू हिंसा, मानसिक या शारीरिक शोषण का विवरण-
i) सामान्य कथनों से बचें-

कई महिलाएं सरल बयान देती हैं जैसे ‘मेरे पति पिछले ५ सालों से मुझे शारीरिक और मानसिक रूप से प्रताड़ित कर रहे हैं’.
हालाँकि इसके बजाय उन्हें सविस्तर विवरण निम्नलिखित प्रकारसे देना चाहिए-
उदहारण के तौर पर-
‘मेरे पति ने मेरे पिताजी को शादी के १० वें दिन उन्हें एक कार गिफ्ट करने के लिए कहा और मेरे पिताद्वारा असमर्थता व्यक्त करने के बाद मेरे पतीने उनके परिवार के सदस्यों के सामने मुझे ३ बार थप्पड़ मारा’.
इस प्रकार हर घटना का विस्तृत विवरण देना चाहिए, तारीख का विवरण दिया जाना चाहिए, यदि घटना की तारीख आसानी से पता नहीं चल पाती या याद नहीं आती है तो ऐसी घटना की अनुमानित अवधि की जानकारी दी जानी चाहिए.

ii) सबसे महत्वपूर्ण- मेडिकल और इलेक्ट्रॉनिक सबूतों का रिकॉर्ड रखें-
हिंसा, शारीरिक शोषण या दुर्व्यवहार के मामलों में यह अत्यंत महत्वपूर्ण है कि अगर कोई चिकित्सा या उपचार हिंसा, शारीरिक शोषण या दुर्व्यवहार के बाद लिया जाता है, ऐसे दुर्व्यवहार के चलते परिणामस्वरुप कोई बीमारी या स्थायी चोट दिखाई दे उसके चिकित्सा उपचार का मेडिकल रेकॉर्ड जरुर संभाल कर रखें या जिस अस्पताल में इलाज हुआ हो उसका सन्दर्भ जरुर दें.

*साथ ही ऐसे दुर्व्यवहार का पती, उसके परिवार के सदस्यों से किसी भी प्रकार के वार्तालाप जैसे ईमेल, कॉल रिकॉर्डिंग, व्होट्सऐप मैसेज, एसएमएस जिसमें यह साबित या निहित किया जा सकता है कि इस तरह का शारीरिक शोषण हुआ था, उसे प्रस्तुत करने या संदर्भ के लिए तैयार रखा जाना चाहिए. तथा ऐसी चोट का खुद भी फोटो तथा इलेक्ट्रोनिक रिकॉर्ड बना कर रखें. 

iii) इसके विपरीत पुरुष पक्ष ऐसे मामलों में भी प्रस्तुत या संदर्भ के लिए उपर्युक्त प्रमाण रख सकते हैं-
उदाहरण के तौर पर-
‘मुझे व्यावसायिक उद्देश्य के लिए कई जगहों पर जाना और देर रात घर वापिस आना अनिवार्य है जो मेरी पत्नी को स्वीकार्य नहीं था और कई मौकों पर उसने मुझे मारा है, ऐसी एक घटना २८ दिसंबर २०१९ को हुई थी जब मैं रात १ बजे घर आया, उसने मेरे सिर पे मेटल डिश मारा और धमकी दी कि ‘अब मैं आत्महत्या कर लूंगी।’

iv) यदि सटीक तारीख ज्ञात नहीं है- अनुमानित जानकारी दें-
यदि आपको ऐसी घटनाओं की सही तारीख याद नहीं है, तो उस घटना के सप्ताह, किसी भी धार्मिक समारोह या त्योहार या घटना के महीने को प्रस्तुत किया जाना चाहिए. साथ ही उपर्युक्त सभी विवरणों को कालानुक्रम में वकील तथा अधिवक्ता को प्रस्तुत किया जाना चाहिए.

१२) भरणपोषण के लिए महत्वपूर्ण जानकारी-
ज्यादातर महिलाएं सोचती हैं कि यह अदालत और वकील हैं जो भुगतान की जाने वाली राशि का फैसला करते हैं. हालांकि अंततः भले ही अदालत भरणपोषण राशि का फैसला करती है, लेकिन तथ्यात्मक विवरण पीड़ित महिलाद्वाराही दिया जाना चाहिए अन्यथा कई महत्वपूर्ण पहलु अदालत के सामने न रखने से तथा अधिवक्ताओं के सामने पेशेवर तरीके से न रखने से न्यायिक प्रक्रिया में नुकसान हो सकता है.

इसलिए भरणपोषण राशि का हिसाब करने हेतू निम्नलिखित पहलुओं और जानकारी इस उद्देश्य के लिए तैयार होनी चाहिए-
i) पति की नौकरी या व्यवसाय का विवरण,
ii) पति की मासिक और वार्षिक आय,
iii) पति के परिवार की आर्थिक स्थिती,
iv) पती को विरासत में मिली संपत्ती तथा ऐसी संपत्तीमें हिस्सेदारी का विवरण,
v) पती के स्वामित्व वाली संपत्ति, आवासीय स्थान, कार्यालय स्थान, वाहन, आभूषण आदि.

१३) मासिक गुजारा भत्ता का दावा करने के लिए-
पती से अलग रहनेवाली और विशेष रूप से बच्चों के साथ रहने वाली महिलाओं को निम्नलिखित आधारों पर रखरखाव के लिए मासिक राशि के दावे की गणना करनी चाहिए-
i) बच्चों की संख्या,
ii)घर का किराया
iii) किराना,
iv) मेडिकल,
v) खुद या बच्चे की किसी बीमारी का खर्चा,
vi) बच्चों की स्कूल फीस,
vii) स्कूल यूनिफॉर्म, जूते, स्टेशनरी का खर्च,
viii) बच्चे के अवकाश, खेल और मनोरंजन गतिविधियों के लिए व्यय,
ix) बच्चा उसके पिता के साथ रहते हुए नियमित रूप से आनंदित गतिविधियों या विशेष मनोरंजन या गतिविधियों के लिए व्यय,

१४) वित्तीय मामलों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण पहलू-
हमारे देश में अधिकांश परिवारों में यह आम बात है कि महिलाओं के नाम पर कई व्यवसाय औपचारिक रूप से चलाए जाते हैं और यहां तक कि उन्हें आय का रिटर्न भी जमा करके कमाई करनेवाली व्यक्ती दिखाया जाता है. हालाँकि ऐसे व्यवसाय का वास्तविक नियंत्रण और सभी आय परिवार के पुरुष मुखियाद्वारा नियंत्रित किया जाता है. ऐसी परिस्थितियों में महिलाओं के लिए निम्नलिखित जानकारी तैयार करना महत्वपूर्ण हो जाता है-
i) अगर पति ने बिना किसी आय के या कोई वास्तविक नियंत्रण दिए बिना पत्नी के नाम पर व्यवसाय शुरू कर दिया है?
ii) यदि उपर्युक्त प्रश्न का उत्तर पुष्टिकारक है तो ऐसी स्थिति में उन फर्म के नाम, समय-समय पर जारी किए गए चेक, बैंक का नाम जिसमें ऐसे व्यवसाय चलाने के लिए खाते खोले जाते हैं आदि जानकारी अत्यंत महत्वपूर्ण हो जाती है जिससे यह साबित किया जा सके की वास्तविक में आर्थिक नियंत्रण पतीद्वारा किया गया है.

१५) प्रक्रियात्मक महत्वपूर्ण दस्तावेज-
हालांकि वकील इस मुद्दे के लिए मार्गदर्शन करते ही हैं, फिर भी अपने पासपोर्ट आकार के फोटो, आधार कार्ड, ईमेल आईडी, मोबाइल नंबर विवरण आदि को अदालत में प्रस्तुत करने के लिए तैयार रखना हमेशा बुद्धिमानी है.

जैसा कि पहले ही उल्लेख किया गया है, यदि उपरोक्त प्रारूप में जानकारी और दस्तावेज़ तैयार किये गए है तो घरेलू हिंसा या तलाक के मामलों के मुवक्किल अपने स्वयं के साथ-साथ अपने वकील के पर्याप्त समय और ऊर्जा को बचा सकते हैं. इसके अलावा ऐसे मामलों में मसौदा बिल्कुल त्रुटि मुक्त हो जाता है और व्यक्ति कई वकील तथा अधिवक्ताओं को इस प्रारूप में जानकारी भेजकर कई पेशेवर सलाह ले सकता है.

नवविवाहित महिलाओं को उल्लिखित पहलुओं को हमेशा ध्यान में रखना चाहिए ताकि यदि दुर्भाग्यवश भविष्य में उनके साथ ऐसा कोई अन्याय होता है, तो वे अपनी सारी जानकारी पेशेवर तरीके से तैयार रखेंगी और जानकारी के अभाव में उन्हें नुकसान नही झेलना होगा तथा क़ानूनी प्रक्रियाओं में न्याय का संतुलन उनके पक्ष में जरुर जाएगा.
ॲड.सिद्धार्थशंकर शर्मा
संस्थापक अध्यक्ष- भारतीय क्रांतिकारी संगठन

निम्नदर्शित लिंक के माध्यम से एकही पेज पर भ्रष्ट प्रणाली के खिलाफ लड़ने के लिए हमारे सभी शीर्ष कानूनी जागरूकता हेतु लेखों को जरुर पढ़ें-
https://wp.me/P9WJa1-Xq

उपरोक्त लेख जैसे ही नवीनतम अपडेट प्राप्त करने के लिए, हमारे ट्विटर और फेसबुक पेज से जुड़ना न भूलें, हमारे ट्विटर और फेसबुक पेज के लिंक नीचे दिए गए हैं-
फेसबुक पेज लिंक-
https://www.facebook.com/jaihindbks
https://www.facebook.com/हिंदी-क़ानूनी-मार्गदर्शन-भारतीय-क्रांतिकारी-संगठनद्वारा-288829762043329/
ट्विटर पेज लिंक-
https://twitter.com/jaihindbks

इस लेख को पेज के निचले भाग पर उपलब्ध सोशल मीडिया बटन के साथ साझा करें और ईमेल के माध्यम से कानूनी जागरूकता लेख प्राप्त करने के लिए नीचे दिए गए Subscription Box में अपना ईमेल पता दर्ज करें.

अस्वीकरण- इस वेबसाईट से जुड़ा हुआ कोई भी लेखक, योगदानकर्ता, प्रशासक या इस वेबसाइट से जुड़ा कोई भी व्यक्ति या कंपनी, किसी भी तरह से, इन वेब पेजों से जुड़ी जानकारी के किसी भी प्रकार के उपयोग के लिए जिम्मेदार नहीं हो सकता है. आगंतुकों को सलाह दी जाती है कि किसी भी प्राधिकरण, अदालत या आयोगों कों संपर्क करने से पहले तथा किसी भी क़ानूनी तथा न्यायालयीन कार्रवाई के पहले इस वेबसाईट पर दी गई जानकारी के भरोसे किसी भी प्रकार की कोई भी कार्रवाई करने से पहले अधिवक्ता तथा वकील की राय लें.


Share

Leave a Reply