अदालत तथा न्यायालय और विभिन्न आयोग में शिकायत कैसे दर्ज करें क़ानूनी मसौदा संलग्न- (How to File Complaint at Authorities, Courts & Commissions Without Lawyer -Sample Legal Draft for Courts, Commissions & Authorities (Hindi)- अधिवक्ता या वकील नियुक्त किये बिना मुकदमा, याचिका या शिकायत कैसे दर्ज करें? मानवाधिकार आयोग में याचिका या शिकायत कैसे दर्ज करें? बाल अधिकार आयोग में याचिका या शिकायत कैसे दर्ज करें? महिला आयोग में याचिका या शिकायत कैसे दर्ज करें? उपभोक्ता फोरम में याचिका या शिकायत कैसे दर्ज करें? पुलिस या अधिकारियों को शिकायत कैसे दर्ज करें? क्या यह सब बिना वकील के नियुक्ति के संभव है? आम लोग इन सवालों का सामना भ्रष्ट व्यवस्था से उनके रोजमर्रा के टकरावों में कई बार करते है.
मैंने भ्रष्ट तंत्र के खिलाफ पिछले कई वर्षों से कानूनी जागरूकता और विरोध जन आंदोलन शुरू किया है और अधिकांश मामलों में सफलता प्राप्त की है, जैसे छात्रों को अवैध शुल्क वापस करवाना, देश के सबसे प्रतिष्ठित विधि महाविद्यालय के खिलाफ आपराधिक मुकदमा के आदेश प्राप्त करना तथा भारी जुर्माना लगाने के आदेश प्राप्त करना, गैरकानूनी फीस के लिए बच्चों को प्रताड़ित करनेवाले दोषी स्कूल प्रिंसिपल को बर्खास्त करवाना, अन्यायपूर्ण सरकारी अध्यादेश को रद्द करवाना, विश्वविद्यालय के दोषपूर्ण मॉडरेशन और पुनर्मूल्यांकन प्रणाली का शिकार हुए छात्रों को न्याय प्रदान करना आदि. इन सारे आंदोलन तथा न्यायिक प्रक्रियाओंमें मैंने महसूस किया की चाहे अदालत हो या विभिन्न आयोग, या अधिकारसंस्था, अगर लोग पेशेवर तरीके से अपना क़ानूनी मसौदा (Sample Legal Draft Hindi) तैयार करते हैं तो निश्चित रूप से यह विभिन्न अदालतों, आयोगों और अधिकारियों के समक्ष भ्रष्ट व्यवस्था के खिलाफ उच्च परिणाम देता है.
मैंने यह भी देखा है कि आम लोग अदालतों, विभिन्न आयोग तथा अधिकार संस्थाओं (Courts & Commissions) के समक्ष अपनी वैध शिकायतें संक्षेप तथा क़ानूनी रूप में पेशेवर तरीकेसे प्रस्तुत करने में विफल रहते हैं जिसके परिणामस्वरुप उन्हें भ्रष्टतंत्र के खिलाफ भारी क्षति का सामना करना पड़ता है. बहुत से लोग तो ऐसे अदालतों, आयोगों और अधिकारियों के समक्ष केवल अपने भावनात्मक पहलुओं पर ध्यान केंद्रित करते रहते हैं जो स्पष्ट रूप से कोई फल नहीं देता हैं क्योंकि किसी भी प्रशासनिक या न्यायिक प्रणाली कानूनी पहलुओं पर मुख्य रूप से केन्द्रित होती है और आंशिक रूप से ही भावनात्मक पहलू पर ध्यान दिया जाता है.
चूँकि मैं खुद एक अधिवक्ता तथा वकील हूँ, तो यहाँ विशेष रूप से एक बात स्पष्ट कर दूँ की वकीलों के पेशेवर क़ानूनी मसौदा (Professional Legal Draft) और आम लोगों द्वारा बनाया हुआ क़ानूनी मसौदा (Legal Draft) की तुलना नहीं की जा सकती है. हालाँकि मेरा दृढ़तापूर्वक मानना है कि यदि लोग अपने मामलों को नीचे दिए गए अनुच्छेदों के प्रारूप में सक्षम अदालत तथा न्यायालयों, आयोगों और अधिकारियों के समक्ष पेश करते हैं, तो न केवल उन्हें अपूरणीय क्षति से बचाया जाएगा, बल्कि भ्रष्टतंत्र के खिलाफ उनकी सफलता की दर में तेजी से वृद्धि होगी और आम लोग कई अदालतों, आयोगों और अधिकारियों के सामने अपने सामान्य प्रदर्शन से कहीं बेहतर प्रदर्शन करेंगे.
मैंने यह भी देखा है कि ऐसे कई लोग हैं, जिनके पास विभिन्न प्राधिकरणों, आयोगों और अदालतों में व्यक्तिगत रूप से बहस करने और लड़ने की जबरदस्त क्षमता है और सिर्फ इसलिए कि उनके पास इस तरह की याचिका तथा शिकायतें दर्ज करने के बारे में कोई निश्चित प्रारूप (Legal Draft Format), नमूना प्रारूप (Sample Legal Draft) या बुनियादी दिशानिर्देश नहीं हैं या वे विभिन्न अदालतों, आयोगों और अधिकारियों के समक्ष अपने मामलों या शिकायतों को पेशेवर तरीके से दर्ज कराने में विफल रहते हैं.
इसलिए मैं हमेशा आम लोगों के लिए सामान्य मसौदा प्रारूप (Sample Legal Draft) बनाने के बारे में सोच रहा था जो विभिन्न अदालतों, आयोगों और अधिकारियों के समक्ष उपयोग लाया जा सके. अदालतों, आयोगों और प्राधिकरणों के लिए आम कानूनी ड्राफ्ट (Common Sample Legal Draft) तैयार करना कभी भी आसान काम नहीं है क्योंकि इन सभी में अधिकतर अलग-अलग प्रक्रियात्मक पहलू होते हैं. फिर भी मैंने कम से कम ऐसे मॉडल ड्राफ्ट (Sample Legal Draft) तैयार करने की पूरी कोशिश की है जिससे लोगों को अपने ड्राफ्ट में होने वाली गलतियों और त्रुटियों की संभावना कम की जा सकें. यदि लोग नीचे दिए गए तरीके से अपने ड्राफ्ट तैयार करते हैं, तो मेरा मानना है कि जिन लोगों को कानून की कुछ बुनियादी जानकारी है, वे अधिकांश अदालतों, आयोगों और प्राधिकरणों के समक्ष अपने मामले खुद लड़ सकते हैं.
अदालत तथा न्यायालय और विभिन्न आयोग में शिकायत कैसे दर्ज करें क़ानूनी मसौदा संलग्न- (How to File Complaint at Authorities, Courts & Commissions Without Lawyer -Sample Legal Draft for Courts, Commissions & Authorities (Hindi)- यह समझाने के उद्देश्य से कि कैसे आम लोगों के पास जिनके पास अधिवक्ता तथा वकील नियुक्त करने के लिए पर्याप्त पैसा नहीं है या किसी अन्य अपरिहार्य कारणों से अधिकारियों, आयोगों या अदालतों के समक्ष अपने मामले स्वयं लड़ना चाहते हैं, मैंने कानूनी मसौदे के प्रारूप को (Sample Legal Draft) स्पष्ट करने के लिए गैरकानूनी और निर्धारित शुल्क से अत्याधिक शुल्क के वसूली के लिए निजी स्कूलोंद्वारा बच्चों के उत्पीड़न तथा प्रताड़ना के खिलाफ महाराष्ट्र राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग के समक्ष शिकायत दर्ज करने का मुद्दा उठाया है. मेरा सुझाव है कि इस तरह की हर शिकायत या मामला निम्नलिखित स्वरूपों में दर्ज किया जाना चाहिए-
१) सूची (Index)
२) घटनाओं का कालक्रमबद्ध सारांश (List of Events or Chronological Synopsis)
३) शिकायत / याचिका- (The Complaint/Petition)
शिकायत / याचिका पहलू को निम्नलिखित प्रारूप में विभाजित करें-
i) शिकायतकर्ता और प्रतिवादियोंसहित पक्षकारों का नाम और पता (Name & address of the parties including complainant & respondents)
ii) मुख्य वर्गीकृत शिकायत (The main categorized complaint)
iii) आग्रह करने के हेतु मुद्दे (Points to be urged)
iv) अदालत के समक्ष प्रार्थना (Sample Hindi Prayers)
v) शपथपत्र (यदि आवश्यक हो तो) (Affidavit if required)
यह स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है कि किसी भी शिकायत में उपरोक्त प्रारूप में वर्णित शीर्षकों का अनुसरण करने से अधिकांश अप्रासंगिक भागों और गलतियों को जो जादातर आम लोग दुर्भाग्यवश कई अदालतों, आयोगों और अधिकारियों के समक्ष करते हैं उन्हें मात्र उपरोक्त प्रारूप में वर्णित शीर्षकों का अनुसरण करने से आसानी से दूर किया जा सकता है. फिर भी मुझे लगता है कि आम लोगों के लिए उपरोक्त प्रारूप में वर्णित शीर्षकों को विस्तृत रूप और हर श्रेणी को समझाना और अलग से स्पष्ट करना उचित है.
*(यह याद रहे की आप एक सामान्य अर्जी तथा ई-मेल द्वाराभी विभिन्न आयोग तथा कुछ प्रकरणोंमें अदालत या न्यायालय में भी शिकायत दर्ज करा सकते हालाँकि जैसा कि ऊपर बताया गया है, मेरा सुझाव है कि इस तरह की हर शिकायत या मामला निम्नलिखित स्वरूपों में दर्ज किये जाने से आम जनता का विभिन्न आयोग तथा अदालत में सफलता का अनुपात काफी अधिक होगा)
१. नमूना सूची (Sample Index)-
क्योंकि शिकायत या याचिका के समस्त पृष्ठों को अंतिममें संख्या दी जाती है (Numbering), किसी भी शिकायत या मामले से पहले सूची (Index) को पहले रखा जाना चाहिए. उपरिनिर्दिष्ट गैरकानूनी और निर्धारित शुल्क से अत्याधिक शुल्क के वसूली के लिए निजी स्कूलोंद्वारा बच्चों के उत्पीड़न तथा प्रताड़ना के खिलाफ महाराष्ट्र राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग के समक्ष उपरिनिर्दिष्ट प्रकरणमें नमूना सूची (Sample Index) निम्नानुसार-
१.सूची (Index)
क्रम संख्या | विवरण | पृष्ठ संख्या |
१ | घटनाओं का कालक्रमबद्ध सारांश | १-३ |
२ | शिकायत / याचिका | ४-१५ |
३ | अनुलग्नक १- वर्ष २०१४-१७ के शैक्षणिक वर्षों के लिए शिकायतकर्ता द्वारा भुगतान शैक्षिक शुल्क रसीदों की प्रती | १५-२३ |
४ | अनुलग्नक २- शिक्षा विभाग के उप निदेशक, शिक्षा अधिकारी तथा शिक्षा निरीक्षक को स्कुल प्रबंधन ने वर्ष २०१८ के लिए रु.५००००/- से रु.८००००/- गैरकानूनी शुल्क वृद्धि के खिलाफ की गई शिकायत की प्रती | २४-२६ |
५ | अनुलग्नक ३- शिक्षा विभाग के उप निदेशक के दि.२५.०४.२०१८ के पत्र की प्रती जिसमें प्रतिवादी विद्यालय की फीस वृद्धि को अवैध घोषित किया गया है | २६-२८ |
६ | अनुलग्नक ४– शिकायतकर्ता की बेटी के नामांकन को अवैध शुल्क और उसके भुगतान करने के लिए प्रतिवादी स्कूल की दि.२५.०६.२०१८ द्वारा दी गई नोटिस की प्रती | २९-३० |
७ | अनुलग्नक ५- शिकायतकर्ताद्वारा दि.२७.०६.२०१८ प्रतिवादी विद्यालयद्वारा भेजी गई नोटिस का उत्तर जिसमे प्रतिवादी विद्यालय की शुल्क आपूर्ति की मांग अवैध है यह दोहराया गया और साथ में रु.५००००/- सविरोध भुगतान करने के बारेमे सूचित किया है | ३१-३४ |
८ | अनुलग्नक ६- प्रतिवादी स्कूल द्वारा अवैध फीस की मांग के खिलाफ तत्काल कार्रवाई के लिए शिक्षा उप निदेशक को दि.२७.०६.२०१८ की गई लिखित शिकायत की प्रती | ३५-३७ |
९ | अनुलग्नक ७- शिकायत करने के बावजूद अपना कर्तव्य निभाने में लापरवाही बरतने वाले शिक्षा उप निदेशक के खिलाफ शिक्षा निदेशक को दि.१०.०७.२०१८ को की गई शिकायत की प्रती | ३८-४० |
१० | अनुलग्नक ८- प्रतिवादी स्कूलद्वारा शिकायतकर्ता की बेटी को शुल्क जारी न करने पर पूरी कक्षा के सामने उसका अपमान कर के निष्कासित कर दिया और उसके बाद उसे पुस्तकालय में बैठने के लिए मजबूर करने के स्कुल के दि.१२.०७.२०१८ कारवाई के खिलाफ शिक्षा उप निदेशक तथा शिक्षा निदेशक और स्थानीय पुलिस स्टेशन को की गई शिकायत की प्रती | ४१-४८ |
११ | अनुलग्नक ९- नि:शुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा (आरटीई) अधिनियम, २००९ की प्रती | ४९-७४ |
१२ | अनुलग्नक १०- किशोर न्याय और संरक्षण अधिनियम २०१५ की धारा ७५ की प्रती | ७५ |
सूची (Inex) के बाद घटनाओं का कालक्रमबद्ध सारांश (List of Events or Chronological Synopsis) रखा जाना चाहिए-
२.घटनाओं का कालक्रमबद्ध सारांश (List of Events or Chronological Synopsis)-
तिथि / वर्ष |
घटना |
२०१४-१५ | शिकायतकर्ता शैक्षणिक वर्ष २०१४-१५ के लिए ‘एबीसी’ स्कूल में अपनी पुत्री कु.मीनू के लिए प्रवेश रक्षित किया |
२०१४-१७ | शिकायतकर्ता ने २०१४ से सन २०१७ के शैक्षणिक वर्षों की प्रति वर्ष रु.५०,०००/- यानी ३ सालों के कुल रु.१५००००/- फीस का भुगतान किया |
२०१८ | प्रतिवादी विद्यालयने महाराष्ट्र राज्य शासन के महाराष्ट्र शैक्षणिक संस्था शुल्क विनियमन अधिनियम २०११ के अंतर्गत अभिभावक-शिक्षक कार्यकारी समिती का गठन किये बिना शैक्षिक शुल्क रु.५००००/- से गैरकानूनी तरीके रु.८००००/- निर्धारित कर दी |
२०.०३.२०१८ | शिक्षा विभाग के उप निदेशक, शिक्षा निरीक्षक और शिक्षा अधिकारी को दि.२०.०३.२०१८ शिकायतकर्ताने प्रतिवादी विद्यालय के गैरकानूनी फीस बढ़ोतरी के खिलाफ शिकायत की |
२५.०४.२०१८ | शिक्षा विभाग के उप निदेशक ने अपने दि.२५.०४.२०१८ रिपोर्ट में प्रतिवादी विद्यालय की फीस वृद्धि को अवैध घोषित किया |
२५.०६.२०८ | प्रतिवादी स्कुल ने शिकायतकर्ता की बेटी के नामांकन को अवैध शुल्क और उसके भुगतान करने के लिए दि.२५.०६.२०१८ द्वारा नोटिस भेजा |
२७.०६.२०१८ | शिकायतकर्ताने दि.२७.०६.२०१८ को प्रतिवादी विद्यालय द्वारा भेजी गई नोटिस के उत्तरमे प्रतिवादी विद्यालय की शुल्क आपूर्ति की मांग अवैध है यह स्पष्ट किया और रु.५००००/- सविरोध भुगतान करने के बारेमे सूचित किया
|
२७.०६.२०१८ | प्रतिवादी स्कूल द्वारा अवैध फीस की मांग के खिलाफ तत्काल कार्रवाई के लिए शिक्षा विभाग के उप निदेशक, शिक्षा निरीक्षक और शिक्षा अधिकारी को दि.२७.०६.२०१८ लिखित शिकायत की. |
१०.०७.२०८ | शिकायत करने के बावजूद अपना कर्तव्य निभाने में लापरवाही बरतने वाले शिक्षा विभाग के उप निदेशक, शिक्षा निरीक्षक और शिक्षा अधिकारी के खिलाफ शिक्षा निदेशक को दि.१०.०७.२०१८ को शिकायत की. |
११.०७.२०१८ | प्रतिवादी स्कूलद्वारा शिकायतकर्ता की बेटी को शुल्क जारी न करने पर पूरी कक्षा के सामने उसका अपमान कर के निष्कासित कर दिया गया और उसके बाद उसे पुस्तकालय में बैठने के लिए मजबूर किया गया |
१२.०७.२०१८ | प्रतिवादी विद्यालयद्वारा शिकायतकर्ता के बेटी के खिलाफ की गई अमानवीय और प्रतिशोध की कारवाई के खिलाफ शिक्षा विभाग के उप निदेशक, शिक्षा निरीक्षक, शिक्षा अधिकारी, तथा शिक्षा निदेशक और स्थानीय पुलिस स्टेशन को शिकायत की गई |
प्रतिवादी विद्यालय के खिलाफ शिक्षा विभाग तथा पुलिस विभागद्वारा आज तक कोई कारवाई नहीं की गई |
आप इस प्रकार देख सकते हैं कि केवल ऊपर दिए गए सूचकांक और घटनाओं का कालक्रमबद्ध सारांश कुछ क्षणों में ही किसी भी प्रकरण के पूर्ण परिदृश्य को आप के दिमाग में चित्रित करता है! ठीक इसी तरह जब आप शिकायत को उपरोक्त प्रारूप में किसी भी न्यायलय, योग तथा अधिकार संस्था के सामने पेश करते है तो यह संबंधित अदालतों, आयोगों और अधिकारियों को आपके मामले को जल्दी से समझने में मदद करता है जो उनका काफी समय बचाता है और आपके ड्राफ्ट के बारे में एक अच्छी धारणा देता है.
3) शिकायत / याचिका- (The Complaint/Petition)
शिकायत / याचिका पहलू को निम्नलिखित प्रारूप में विभाजित करें-
i) शिकायतकर्ता और प्रतिवादियोंसहित पक्षकारों का नाम और पता (Name & address of the parties including complainant & respondents)
ii) मुख्य वर्गीकृत शिकायत (The main categorized complaint)
iii) आग्रह करने के हेतु मुद्दे (Points to be urged)
iv) अदालत के समक्ष प्रार्थना (Prayers)
v) शपथपत्र (यदि आवश्यक हो तो) (Affidavit if required)
i) शिकायतकर्ता और प्रतिवादियोंसहित पक्षकारों का नाम और पता (Name & address of the parties including complainant & respondents)-
उपरोक्त वर्णित सूची (Index) और घटनाओं का कालक्रमबद्ध सारांश (List of Events or Chronological Synopsis) के बाद मुख्य शिकायत आरंभ होगी. जिसमे सर्वप्रथम शिकायतकर्ता और प्रतिवादियोंसहित पक्षकारों का नाम और पता (Name & address of the parties including complainant & respondents) से शुरुवात के जनि चाहिए. इस बात का ध्यान रहे की आप जब भी अपने गाँव तथा तहसील या जिले के स्तर पर शिकायत करे तो अपने स्थानिक सम्बंधित अधिकारीयों के अलावा हर वरिष्ठ स्तर के अधिकारी को भी अपनी शिकायत जरूर अग्रेषित करें और जिस विभाग के खिलाफ आप को शिकायत है उसके राज्य स्टार के सचिव या विभाग प्रमुख को जरुर पक्षकार करें. जैसे उपरोक्त प्रकरण में निम्नलिखित स्वरूपमे-
शिकायतकर्ता और प्रतिवादियोंसहित पक्षकारों का नाम और पता (Name & address of the parties including complainant & respondents) पक्षकारों का नाम और पता-
कु.मीनू, श्री.सुरेश कुमार (अभिभावक पिता) द्वारा,
पता-
बनाम
१) एबीसी स्कूल की संचालिका,
पता,
२) डीईएफ़ न्यास के अध्यक्ष,
पता,
३) शिक्षा अधिकारी,
पता,
४) शिक्षा निरीक्षक,
पता-
५) शिक्षा उप निदेशक,
पता-
६) पुलिस निरीक्षक, — थाना
पता,
७) पुलिस आयुक्त,
पता-
८) शिक्षा निदेशक, महाराष्ट्र
पता-
९) मुख्य सचिव, शिक्षा विभाग, महाराष्ट्र
पता
उपरोक्त वर्णित अनेक प्रतिवादियों सहित शिकायत करने से मामले की आर्थिक लागत में वृद्धि की संभावना है इसके बावजूद मेरी सलाह यही रहेगी की हर विभाग के प्रमुखसहित सभी लोकसेवकों को प्रतिवादी पक्षकार करें ताकि क्षेत्राधिकार की कमी के वजह से (For Want of Jurisdiction) आपकी प्रार्थनाओं (Prayers) में कोई कमी न रह जाए. इसके अलावा, आप अधीनस्थ बाध्यकारी कर्तव्यों का पालन नहीं करने के लिए अधीनस्थ अधिकारियों के खिलाफ शीर्ष अधिकारीयों को उनके खिलाफ उचित अनुशासनात्मक कार्रवाई के लिए प्रार्थना (Prayers) कर सकते हैं।
ii) मुख्य वर्गीकृत शिकायत (The main categorized complaint)-
घटनाओं का कालक्रमबद्ध सारांश (List of Events or Chronological Synopsis) रखने के बाद एक विस्तृत वर्गीकृत शिकायत लिखें जिसमे शुरू से सिलसिलेवार तरीकेसे प्रतिवादियोंद्वारा की गई क़ानूनी उल्लंघन तथा अवैधता, आप के वैधानिक और मौलिक अधिकारों के उल्लंघन को पूरे क्रम का वर्णन सहज तरीके से किया जा सके. जैसे उपरोक्त प्रकरण में कुछ इस तरह वर्गीकरण होगा-
१.शिकायतकर्ता द्वारा साल २०१८ तक किये हुए फीस का भुगतान
२. प्रतिवादी विद्यालयद्वारा शैक्षिक शुल्क निर्धारित करने में किये गए क़ानूनी उल्लंघन का विवरण,
३.शिक्षा उप निदेशक का विद्यालय की फीस वृद्धि को अवैध घोषित करना
४.स्कूल प्रबंधन द्वारा अवैध शुल्क की मांग
५. स्कूल प्रबंधन द्वारा सविरोध के भुगतान से इनकार
६. शिकायतकर्ता की बेटी को प्रताड़ित करना,
इस प्रकार यदि लोग अपनी शिकायत को श्रेणीबद्ध तरीके से समझा सकते हैं तो यह न केवल शिकायत को उचित रूप से श्रेणियां देता है, बल्कि तर्कों के दौरान आप शिकायत के वर्गीकृत हिस्से का सीधे संदर्भ दे सकते है.
उदाहरण के तौरपर जब न्यायालय अथवा आयोग या सम्बंधित अधिकारी शैक्षिक शुल्क की अवैधता के मुद्दे पर सुनवाई की जाएगी तो आप संदर्भ के लिए अपनी शिकायत के विशिष्ट पृष्ठों की ओर रुख कर सकते हैं क्योंकि आपने पहले ही इसे अलग से वर्गीकृत तथा क्रमांकोंसे चिन्हांकित किया होगा. इसके अलावा जब प्रतिवादी विद्यालय के तरफ से आप पर आरोप होगा की आपने आप के बेटी की शैक्षिक शुल्क का भुगतान नहीं किया है तो आप अपने शिकायत के ‘३.शिक्षा उप निदेशक का विद्यालय की फीस वृद्धि को अवैध घोषित करना’ ‘४.स्कूल प्रबंधन द्वारा अवैध शुल्क की मांग’ ‘५. स्कूल प्रबंधन द्वारा सविरोध के भुगतान से इनकार’ इस वर्गीकृत मुद्दों का तत्काल संदर्भ दे सकते है जो संबंधित न्यायालय तथा आयोग या अधिकारीयों के समक्ष आसानी से उपलब्ध होगा.
iii) आग्रह करने के हेतु मुद्दे (Points to be urged)-
यह किसी भी शिकायत का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा होता है क्योंकि शिकायत का क़ानूनी सारांश का संक्षेप में विवरण दिया जाता है. पूरी शिकायत के क़ानूनी पहलुओं को कुछ क्षणों में स्पष्ट किया जा सकता है, जैसे की उपरोक्त प्रकरण में आग्रह करने के हेतु मुद्दे (Points to be urged) निम्नलिखित स्वरूपमे होंगे-
१. स्कूल प्रबंधन बच्चों की प्राथमिक शिक्षा पूरी करने से पहले निष्कासित करने का दोषी है और इसलिए बच्चों के नि: शुल्क और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार अधिनियम, २००९ की धारा १६ के उल्लंघन के लिए उसे दंड पात्र है.
२.स्कूल प्रबंधन बच्चों की मानसिक प्रताड़ना करने का दोषी है और इसलिए बच्चों के नि: शुल्क और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार अधिनियम, २००९ की धारा १७ के उल्लंघन के लिए दंड पात्र है.
३.स्कूल प्रबंधन ने अवैध, अत्यधिक शुल्क की मांग का अपराध किया है और इसलिए महाराष्ट्र शैक्षिक संस्थान (शुल्क का विनियमन) अधिनियम, २०११ के धारा १६ के तहत अनुशासनात्मक और साथ ही आपराधिक दंड के पात्र है.
४.स्कूल प्रबंधन ने किशोर बच्ची के साथ क्रूरता बरती है इसीलिए वह बच्चों की किशोर न्याय (बालकों की देखरेख और संरक्षण) अधिनियम, २०१५ के धारा ७५ के अनुसार अपराधिक कारवाई के पात्र है.
५. प्रतिवादी शिक्षा निरीक्षक, शिक्षा उप निदेशक महाराष्ट्र सिविल सेवा (आचरण) नियम १९७९ के नियम ३ के तहत अपना कर्तव्य न करने के कारण से दोषी है और अनुशासनात्मक कारवाई के पात्र है.
६. प्रतिवादी पुलिस निरीक्षकने प्रतिवादी स्कुल प्रबंधन के खिलाफ भारतीय दंड संहिता के धारा ४२०, किशोर न्याय (बालकों की देखरेख और संरक्षण) अधिनियम, २०१५ के धारा ७५ तथा महाराष्ट्र शैक्षिक संस्थान (शुल्क का विनियमन) अधिनियम, २०११ के धारा १६ के तहत अपराधिक मुकदमा दर्ज ना कर के अपने कर्तव्य का पालन नहीं किया इसीलिए वो अनुशासनात्मक दंड के पात्र है.
iv) अदालत के समक्ष प्रार्थना (Prayers)-
यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि जिन उपरोक्त बिंदुओं पर आग्रह किया जाना है (Points to be urged) वो और न्यायलय तथा विभिन्न योग के समक्ष की प्रार्थनाएं (Prayers) दोनों पूरी तरह से परस्पर जुड़ी हुई हैं और जो कुछ भी आग्रह किया जाता है (Points to be urged) उसे वैधानिक प्रावधानों के साथ प्रार्थना (Prayers) में रखा जाना है. हालांकि यहां याद रखने के लिए सबसे महत्वपूर्ण भाग ये है की यह जानने के लिए विशेष प्रयास किया जाना चाहिए की दोषी लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए कौन सक्षम अधिकारी है. मैंने हाल ही में महाराष्ट्र में स्कूलोंद्वारा अवैध शुल्क के कई मामलों में देखा है की कई अधिकारियों और यहां तक कि आयोगों ने स्कूल को अवैध फीस की मांग को रोकने या स्कूल में निष्कासित बच्चे को फिर से पढ़ने के लिए निर्देशित किया है, हालांकि मुंबई उच्च न्यायलयने ऐसे आदेशों को क्षेत्राधिकार की कमी के वजह से (For Want of Jurisdiction) निरस्त कर दिया है. इसीलिए अगर कोई आयोग या अधिकारी आप के पक्ष में निर्णय भी दे तो उसकी क़ानूनी समीक्षा जरुर कर लेनी चाहिए. हाल ही में हमारे पक्ष में एक आयोगने निर्णय देने के बावजूद हमने उस आदेश में क्षेत्राधिकार की कमी के वजह से (For Want of Jurisdiction) की कमी के वजह से बदलने की अर्जी देकर उसे सुधारित कर लिया.
*इसलिए मैं यह हमेशा सलाह देता हूँ कि यदि किसी अधिकारी आपके पक्ष में आदेश पारित किया है तो उसे धन्यवाद देने के बजाय पहले सूचना प्राप्त करें कि क्या उसके पास इस तरह के आदेश जारी करने का वास्तविक अधिकार है या उसने जानबूझकर आप पर कोई जाल बिछाया है ताकि इस तरह के आदेश बाद में न्यायलय में निरस्त हो जाए!
उपर्युक्त मामले के संदर्भ में कुछ नमूना प्रार्थनायें (Sample Prayers) निम्नानुसार-
उल्लिखित तथ्यों के मद्देनजर, (क्योंकि बाल अधिकार आयोग के पास केवल सिफारिश/निर्देशात्मक शक्ति है) –मेरी सन्माननीय आयोग से सविनय प्रार्थना है कि-
१.शिकायतकर्ता के पुत्री को प्रतिवादी स्कूल में पुनःप्रवेश प्राप्त करने के लिए सक्षम अधिकार संस्था को निर्देशित किया जाए.
२.प्रतिवादी स्कुल प्रबंधन के खिलाफ आपराधिक और साथ ही उन पर लागू सेवा नियमों के तहत अनुशासनात्मक कार्रवाई करने के निर्देश सक्षम अधिकार संस्था को दिए जाए.
३.स्कूल प्रबंधन के खिलाफ बच्चों के नि: शुल्क और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार अधिनियम, २००९ की धारा १६ के उल्लंघन के लिए कार्रवाई करने के निर्देश सक्षम अधिकार संस्था को दिए जाए.
४.स्कूल प्रबंधन के कर्मचारियों के खिलाफ बच्चों के नि: शुल्क और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार अधिनियम, २००९ के धारा १७ के उल्लंघन के लिए उनपर लागू सेवा नियम के तेहत कार्रवाई करने निर्देश सक्षम अधिकार संस्था को दिए जाए.
५. स्कूल प्रबंधन के खिलाफ किशोर न्याय (बालकों की देखरेख और संरक्षण) अधिनियम, २०१५ के धारा ७५ के अनुसार आपराधिक कार्रवाई करने के निर्देश प्रतिवादी पुलिस निरीक्षक को दिए जाए.
६.प्रतिवादी शिक्षा निरीक्षक, शिक्षा उप निदेशक के खिलाफ महाराष्ट्र सिविल सेवा (आचरण) नियम १९७९ तेहत अनुशासनात्मक कार्रवाई के निर्देश सक्षम अधिकार संस्था को दिए जाए.
७.प्रतिवादी पुलिस निरीक्षकके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करने के निर्देश सक्षम अधिकार संस्था को दिए जाए.
v) शपथपत्र (यदि आवश्यक हो तो) (Affidavit if required)-
ज्यादातर न्यायलय और कई आयोग हर शिकायतकर्ता को शपथपत्र दाखिल करना अनिवार्य करते है. और उसका प्रारूप आप ऐसे आयोग के वेबसाईट तथा कार्यालय से प्राप्त कर सकते है. उसे प्राप्त करने के बाद आप को उसे नोटरी द्वारा सत्यापित कर के उसे दाखिल करवाना अनिवार्य होता है. तो कई आयोगों में शपथपत्र दाखिल करने की जरुरत नहीं होती है.
*सबसे महत्वपूर्ण सलाह जो मैं देना चाहता हूं, वह यह है कि ऊपर बताए गए तरीके से शिकायत या याचिका तैयार करने के बाद, हमेशा उचित अदालतों, आयोगों और प्राधिकारियों के समक्ष दाखिल होने से पहले किसी अधिवक्ता यानी वकील से सलाह जरुर लें, क्योंकि संबंधित वकील केवल मसौदा परामर्श करने या उसमे बदलाव के सलाह देने के मार्गदर्शन के लिए बहुत कम राशि वसूल करेंगे जिससे आप का मसौदा (Draft) पूर्णतः या काफी हद तक दोषरहित हो सकेगा.
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